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FLOP *** (News Rating Point) 04.06.2016
जयसिंहपुर सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक अरुण वर्मा ढाई साल पुराने गैंगरेप के मामले में फिर से फंसते नजर आने की वजह से चर्चा में रहे. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने विधायक को विवेचना में मिली क्लीन चिट खारिज करते हुए पुलिस से दो हफ्ते में दोबारा जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस एमएलए की प्राइवेट आर्मी की तरह क्यों पेश अा रही है. विवेचना में अब कोई खामी नजर आती है तो जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी. कोर्ट ने रानी लक्ष्मीबाई सम्मान कोष से नाबालिग पीड़िता को सात लाख रुपये सहायता राशि भी दिलवाई है. जस्टिस सुधीर कुमार सक्सेना ने सुनवाई के दौरान निचली अदालत की ओर से विधायक के खिलाफ अग्रिम विवेचना का आदेश नहीं मानने पर यह आदेश दिया. कोर्ट के दखल के बाद सुलतानपुर एसपी ने विवेचक बदल दिया है. पीड़िता के वकील सुशील कुमार सिंह के अनुसार, 27 मई 2016 को अन्य अभियुक्तों के खिलाफ चल रहे विचारण में नाबालिग ने अपने पहले के कलमबंद बयान का समर्थन किया है जिसमें उसने विधायक अरुण वर्मा का नाम लिया था. अखबारों ने लिखा कि सुलतानपुर थाना क्षेत्र में 5 अक्टूबर, 2013 को ग्राम चोरमा थाना जयसिंहपुर निवासी एक व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 18 सितम्बर, 2013 से उनकी नाबालिग बेटी गायब है. 6 अक्टूबर, 2013 को बरामद पीड़िता ने कोर्ट में विधायक अरुण और सात अन्य पर गैंगरेप का आरोप लगाया. सीओ सिटी वीपी सिंह ने जांच के बाद 2 फरवरी, 2014 को विधायक अरुण, पूनम यादव व धीरेंद्र का नाम निकालते हुए अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. इस पर पीड़ित पक्ष की प्रोटेस्ट पिटीशन पर निचली अदालत ने अग्रिम विवेचना का आदेश दिया. अमल नहीं होने पर पीड़िता के पिता ने हाई कोर्ट की शरण ली.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)