आकाश सक्सेना का प्रयास रंग लाया, फिर हनक बिखेरेगा रामपुरी चाकू

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नितिन श्रीवास्तव
रामपुर। अगर आप बॉलीवुड की फिल्में देखने के शौकीन हैं तो आपने एक नाम जरूर सुना होगा और वह नाम है रामपुरी चाकू का तमाम फिल्मी गानों से लेकर डायलॉग तक रामपुरी चाकू का जिक्र आया है। हम इसका जिक्र इसलिए कर रहे हैं कि देश में रामपुरी चाकू अब फिर अपनी हनक के साथ नजर आएगा। साथ ही रामपुर में चाकू का कारोबार फिर अपनी चमक बिखेरेगा। रामपुरी चाकू के कारोबार को फिर चमकाने की मुहिम के अगुवा साबित हुए हैं रामपुर के नयेनवेले विधायक आकाश सक्सेना।
उत्तर प्रदेश शासन ने चाकू के लाइसेंस जारी करने के आदेश डीएम को दे दिए हैं। रामपुर के विधायक आकाश सक्सेना कृपाण की तर्ज पर चाकू कारोबारियों को लाइसेंस जारी करने की मांग शासन से की थी।
फिल्मों में रामपुरी चाकू :

इस चाकू की खासियत इसके बेंटे पर नक्काशी और बटन से खुलने और बंद होने की थी। साथ ही चाकू पीतल की धातु से बना होता था। लेकिन, 90 के दशक में सरकार ने चार इंच से ज्यादा लंबे चाकू के इस्तेमाल करने व रखने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद चाकू का कारोबार बुरी तरह सिमट गया।रामपुर नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होने के बाद ही आकाश सक्सेना ने इस कारोबार को नई पहचान दिलाने के लिए काम शुरू कर दिया था। जिससे इस कारोबार से जुड़े लोगों को रोजगार मिल सके और उनके हुनर को पूरी दुनिया में पहचान मिल सके। विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने चाकू कारोबारियों को कृपाण की तर्ज पर लाइसेंस जारी करने की मांग की थी। जिस पर सरकार ने विधायक के पत्र का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी को आदेश दिए हैं। विधायक आकाश सक्सेना ने बताया कि रामपुर के चाकू कारोबारियों को लाइसेंस जारी होने शुरू हो जाएंगे। जिससे यहां के चाकू कारोबार को नई ऊंचाईयां हासिल होंगी।

रामपुरी चाकू का इतिहास :
रामपुर के इतिहास की परतें भी खोलें तो यह लकड़ी के काम के लिए खासा प्रसिद्ध था लेकिन चाकू बनाने का कोई खास जिक्र नहीं मिलता। हालांकि नवाब के पास अपनी फौज थी। चार बटालियन का इस्तेमाल तो आजादी के वक्त तक होता था। लिहाजा शस्त्रागार तो थे ही। उन सैनिकों के लिए तेज धार के चाकू भी थे।
इसे बाजार की शक्ल देने वालों में अहम नाम था रामपुर के नौवें नवाब यानी नवाब हामिद अली खां का। एक बार उन्होंने जर्मनी से एक चाकू मंगवाया। नवाब को यह काफी रोचक लगा क्योंकि यह बटन दबाते ही खुल जाता था। नवाब ने अपनी रियासत के बेहद प्रसिद्ध कारीगर को बुलाकर उससे हूबहू वैसा ही चाकू बनाने को कहा। कारीगर ने जो चाकू गढ़ा उसपर तो जर्मनी का वह चाकू भी फीका दिखने लगा। बस इसके बाद रामपुर में चाकू बनाना भी एक हुनर हो गया। कारोबार बढ़ता गया। चाकू बनाने वाले अपना हुनर अगली पीढ़ी में बांटते गए और बेचने वालों ने भी इसे पुश्तैनी कारोबार बना लिया। जानकार रामपुरी चाकू की सनद 100 साल से ज्यादा की बताते हैं। रामपुर में जहां तहसील कार्यालय होता था, उसी के पास चाकू बाजार बस गया। 60 से 90 के दशक तक की हिंदी फिल्मों में खलनायकों का चाकू इस्तेमाल करना इसे और प्रसिद्धि देता गया।

कैसे ठप हुआ चाकू का कारोबार :
नब्बे के दशक के दौरान तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने एक फैसला लिया और 4.5 इंच से ज्यादा लम्बे ब्लेड वाले रामपुरी चाकुओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस फैसले ने रामपुरी की लोकप्रियता पर खासा असर डाला और जिससे बाजार में इनकी मांग कम होती चली गई। साथ ही कच्चे माल की बढ़ती लागत और घटते लाभ की वजह से रामपुरी चाकुओं का व्यापार गिरता चला गया।

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