आईएएस राधा रतूड़ी ने कराई अपनी, उत्तराखंड सरकार और यूपी पुलिस की फजीहत

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एनआरपी डेस्क
लखनऊ। अपने साथ अपनी, यूपी पुलिस और उत्तराखंड सरकार की एक साथ फजीहत करानी हो तो उसका श्रेष्ठ उदाहरण हैं। उत्तराखंड सरकार की अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी। उन्होंने सोमवार को यूपी पुलिस पर सनसनीखेज आरोप लगाकर हंगामा मचा दिया। कहा कि यूपी पुलिस कई बार निर्दोष लोगों को झूठे आरोप लगाकर पकड़ लेती है और केस सॉल्व करने का दावा ठोक देती है। रतूड़ी का बयान आने के बाद यूपी में हंगामा मच गया। जवाब देने के लिए आगे आए सूबे के एडीजी कानून व्यव्स्था प्रशांत कुमार। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के ACS गृह का बयान देखा और सुना है। ये बयान खेदजनक है और तथ्यों पर आधारित नहीं है। बहरहाल राधा रतूड़ी का यह बयान उनके लिए बड़ी शर्मिंदगी का सबब बन गया है। उन्होंने बाद में इसकी सफाई भी दी।


मामला कुछ यूं है कि राधा रतूड़ी मीडिया के सामने आईं तो थीं, शांत देवभूमि उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों में एक के बाद एक हुई आपराधिक वारदातों के बाद राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर संदेश देने लेकिन विवादित बयान देकर आफत मोल ले ली। दरअसल यूपी, उत्तराखंड दोनों जगह बीजेपी सरकार है। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी की अच्छी कैमेस्ट्री भी अच्छी मानी जाती है। राधा रतूड़ी के बयान से खटास की स्थिति बनी। यूपी सरकार और पुलिस का एतराज लाजिमी था। इसके बाद ही बयान से पलटते हुए एसीएस गृह राधा रतूड़ी का स्पष्टीकरण सामने आया और विवादित बयान से भड़की आग पर पानी डालने की कोशिश हुई।

 

इधर, रतूड़ी का बयान आते ही यूपी हंगामा मच गया। पुलिस पर इस सनसनीखेज बयान का मुहतोड़ जवाब देने सूबे के एडीजी कानून व्यव्स्था प्रशांत कुमार खुद सामने आये। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के ACS गृह का बयान देखा और सुना है। ये बयान खेदजनक है और तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। जब कोई बात देश के सबसे बड़े और संवेदनशील राज्य से संबंधित हो तो तथ्यों को जानकारी लेकर ही कुछ भी बोलना चाहिए। उन्होंने पूछा कि मुख्तार अंसारी और विजय मिश्रा, जिन्हें न्यायालय ने सज़ा दी है, क्या वे निर्दोष लगते हैं? क्या ज़फर, जो खनन माफिया है, वे निर्दोष लगते हैं? उत्तर प्रदेश की पुलिस ने अपराध और अपराधियों के प्रति कार्रवाई करके एक नजीर प्रस्तुत की है। उत्तर प्रदेश पुलिस उत्तराखंड सरकार से मांग करती है कि इस तरह के गैर ज़िम्मेदाराना बयान पर रोक लगाई जाए।

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