4 जिंदगियां और यूपी की इज़्ज़त को लील गया एलडीए का भ्रष्ट सिस्टम

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नवल कान्त सिन्हा
लखनऊ। अकेला मुख्यमंत्री और चारो ओर बरसो से बजबजाता भ्रष्टाचार का नाला। दशकों से भ्रष्टाचार लखनऊ विकास प्राधिकरण का पर्याय बना हुआ है। कई सीएम आए और चले गए लेकिन भ्रष्टाचार की इमारतें आजतक बुलंद हैं। उसकी वजह यह है घटनाएं होती रहती हैं, बड़े अफसर उसे निपटाने के लिए त्वरित उपाय बताते हैं और सबकुछ पहले जैसा ही चलता रहता है। लखनऊ के हजरतगंज ने होटल लेवाना से निकलने वाली हर लपट और धुएं का गुबार ये चीख चीख कर कह रहा है कि चार मौतों का सीधा सीधा जिम्मेदार लखनऊ विकास प्राधिकरण है। अन्य महकमों की कालिख भी इस जली इमारत पर नजर आ रही है। खासकर कि कैसे इस होटल को फायर की एनओसी मिली। पूरे देश में यूपी की फजीहत का सबब बनी है लेवाना होटल की आग। सोमवार को देश के सभी टीवी चैनल और मंगलवार को अखबारों के शीर्षक कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार इन मौतों की वजह है। मीडिया ने लेवाना हादसे मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के प्रयासों को मरहम की तरह लिया है।
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अमर उजाला ने हेडिंग लगाई “धुआंदार सिस्टम” लापरवाही पर लिखा कि एलडीए, नगर निगम, पर्यटन, यूपीपीसीबी, बिजली, अग्निशमन, खाद्य और औषधि विभाग आंखें मूंदे बैठे रहे। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि अपार्टमेंट की जमीन को होटल में तब्दील कर दिया गया था। सवाल उठाया कि जब ये अवैध होटल बना तो जिम्मेदार विभाग कहां थे। जून 2018 में चारबाग में दो होटलों में लगी आग में प्रथमदृष्टया पाए गए अफसरों पर क्या कार्रवाई हुई?

हिंदुस्तान ने लिखा कि इस साल 13 अप्रैल को सेवीग्रैंड होटल में आग लगी थी। लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अपने सब अफसरों को क्लीन चिट दे दी थी। चारबाग होटल अग्निकांड में भी जिम्मेदारों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बल्कि दोषी पाए गए अफसर कमेटी के सामने बयान तक दर्ज कराने नही आए। लिखा – लेवाना सुइट्स अग्निकाण्ड में एलडीए के 22 इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश कर दी गई। लेकिन बगैर एनओसी संचालित होने के लिए किसी अफसर की जिम्मेदारी तय नहीं की गई। वर्ष 2017 से इस क्षेत्र में तैनात सभी इंजीनियर कार्रवाई के दायरे में आ गए लेकिन इस अवधि में तैनात अफसरों पर चर्चा तक नहीं हुई।
नवभारत टाइम्स ने लिखा कि साल पहले चारबाग के दो होटलों में आग से 7 लोगों की मौत हुई थी। तीन बार जांच हो चुकी है। लेकिन सजा तो छोड़िए यही साबित नहीं हो पाया है कि कौन अफसर-कर्मचारी दोषी है। एक होटल तो फिर चालू हो गया है। घटना का जिक्र इसलिए, ताकि लेवाना में लगी आग की वजह समझी जा सके। दरअसल भ्रष्टाचार का तंत्र इतना मजबूत है कि दोषी आसानी से बच निकलते हैं।
दैनिक जागरण ने लिखा कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी और इंजीनियर,मुख्य अग्निशमन अधिकारी और अग्निशमन अधिकारी, जिला आबकारी अधिकारी, आबकारी निरीक्षक और निदेशक, विद्युत सुरक्षा निदेशालय इस अग्निकांड के दोषी हैं।
आजतक के अनुसार, लेवाना होटल अग्निकांड में 4 लोगों की जान चली गई है। 30 कमरों वाले इस होटल में घटना के वक्त 18 कमरों में 35 लोग मौजूद थे। सोमवार सुबह करीब 7 बजे होटल में आग लगी थी। आग होटल की किचन से लगने की बात सामने आई है। होटल में इस तरह की आग और रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी को गंभीरता से लेते हुए यूपी सरकार ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। जांच कमेटी में प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव चिकित्सा और अन्य सीनियर अफसरों को शामिल किया गया है।
एबीपी न्यूज़ ने बताया कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव पवन कुमार गंगवार की अध्यक्षता में मुख्य अभियंता अवधेश तिवारी, वित्त नियंत्रक दीपक सिंह और मुख्य नगर नियोजक नितिन मित्तल की समिति गठित की गई है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्र में 2 जुलाई 2017 से तैनात रहे अधिकारियों और कर्मचारियों की बिल्डर के साथ मिलीभगत के चलते अवैध निर्माण के विरूद्ध कार्यवाही न करने का जिम्मेदार पाया गया।
न्यूज़ 18 के अनुसार लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी का बड़ा बयान सामने आया है। उनके अनुसार, पिछले 5 सालों से यहां बिना नक्शा पास करवाए होटल का काम चल रहा था। साथ ही आवसीय भू उपयोग पर कमर्शियल काम हुआ है। पिछले 5 सालों से इस इलाके में तैनात सभी एलडीए कर्मियों पर कार्यवाही की संतुति की गई है। जानकारी सामने आई है कि पिछले 5 साल से होटल मालिक लगातार एलडीए को धोखा दे रहे थे। डॉ. त्रिपाठी के मुताबिक, 1984 में आवासीय कार्य के लिए भूमि दी गई थी। 1986 में इनका नक्शा निरस्त कर दिया गया था। नक्शा निरस्त होने के बाद जमीन मालिक ने कमर्शियल वर्क ना करने का एफिडेविट दिया था।
अब सवाल तो ये बनता है कि लखनऊ के दिल हजरतगंज में विधान भवन से चंद कदमों की दूरी पर ऐसा होटल चल रहा था। वहां तमाम आयोजन होते थे, तमाम नेता, अफसर जाते थे। लखनऊ का बच्चा बच्चा उस होटल के बारे में जानता था लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण को कुछ नही पता था। वैसे अगर पता है नही था तो संशय होता है कि फिर इस प्राधिकरण में अफसर और इंजीनियर किस बात की मोटी तनख्वाह ले रहे थे।
प्रभात खबर ने याद दिलाया कि वर्ष 2018 में हुए ऐसे ही एक अग्निकांड में सात लोगों की मौत हो गयी थी। होटल विराट और एसएसजे इंटरनेशनल में आग से एक बच्चे सहित सात लोगों की मौत हो गयी थी। इस मामले में लंबे समय तक जांच चली थी। तत्कालीन एडीजी राजीव कृष्ण और एलडीए के तत्कालीन वीसी पीएन सिंह ने इस अग्निकांड की जांच की थी। इस जांच में कुल 16 इंजीनियरों को दोषी माना गया था। फिर शासन ने एक और जांच उच्च स्तरीय समिति से करायी थी, जिसके आधार पर 16 लोगों को चार्जशीट दी गयी है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या कोई इसमें सजा पाएगा? ऐसे मामलों का हश्र किसी से छुपा नहीं है।

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