FLOP **** (News Rating Point) 19.12.2015
इस सप्ताह अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया अपने खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित किये जाने की वजह से चर्चा में रहे. दरअसल इस बुधवार को अरुणाचल प्रदेश विधानसभा उस राजनीतिक संकट के भंवर में फंस गयी, जब 21 बागी कांग्रेस विधायकों, भाजपा के 11 विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों ने मिलकर एक अस्थायी स्थल पर बैठक कर विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया. इसे रेबिया ने अवैध एवं असंवैधानिक कार्यवाही करार दिया. बाद में राज्यपाल जेपी राजखोवा से नाराजगी जताते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य ‘विधानसभा’ द्वारा लिये गये सभी फैसलों पर रोक लगा दी, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया को हटाने का निर्णय भी शामिल है. मुख्यमंत्री नबाम तुकी और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों समेत 27 विधायकों ने इस कार्यवाही का बहिष्कार किया. पिछले तीन महीने से कांग्रेस मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ विरोध का झंडा उठाये 21 बागी विधायक यहां एक सामुदायिक सभागार में एकत्रित हुए. उन्होंने आनन-फानन में बुलाये गये सत्र में भाजपा तथा निर्दलीय विधायकों की मदद से रेबिया पर महाभियोग चलाया. उपाध्यक्ष टी नोरबू थोंगडोक ने इस बैठक की अध्यक्षता की. इन 21 बागी कांग्रेस विधायकों में वे 14 विधायक भी थे, जिन्हें मंगलवार को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया था. ये विधायक विधानसभा परिसर स्थानीय प्रशासन द्वारा सील किये जाने के बाद इस सभागार में एकत्र हुए थे. मुख्यमंत्री नबाम तुकी और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों समेत 27 विधायकों ने इस कार्यवाही का बहिष्कार किया. विधानसभा में सदस्यों की संख्या 60 है. विपक्ष के नेता (भाजपा) ने महाभियोग प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद उपाध्यक्ष टी नोरबू थोंगडोक ने महाभियोग नोटिस पर रेबिया का नाम पुकारा ताकि यदि वह कोई स्पष्टीकरण देना चाहें तो दें, लेकिन अध्यक्ष मौजूद नहीं थे. उसके बाद इस प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा गया और उसका उपाध्यक्ष को छोड़कर 20 बागी कांग्रेस विधायकों, 11 भाजपा विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों ने समर्थन किया. इन सभी 33 विधायकों ने इस प्रस्ताव पर अपने हस्ताक्षर किये और उसके बाद उसे पारित घोषित कर दिया गया.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)