कानपुर देहात के पुलिस, प्रशासन ने गिराई यूपी सरकार की साख

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एनआरपी डेस्क
लखनऊ। कानपुर देहात के मड़ौली गांव कांड ने तूल पकड़ लिया है। अतिक्रमण हटाने के दौरान झोपड़ी में जलकर मरीं मां-बेटी के परिजनों ने पुलिस-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ितों का कहना है कि गांव के कुछ लोगों की शिकायत पर प्रशासन ने उनका पक्का मकान गिरा दिया था। बेघर होने के बाद उनका परिवार जानवरों सहित जिलाधिकारी नेहा जैन के बंगले पर न्याय की गुहार लगाने पहुंचा। लेकिन वहां पर एडिशनल एसपी घनश्याम चौरसिया हमें मारने दौड़े और यह सब कुछ डीएम के इशारे पर हुआ। यह खबर पहले सोशल मीडिया पर छाई, फिर मंगलवार को विभिन्न चैनलों की प्रमुख खबर बनी।
आजतक ने अपने पोर्टल पर लिखा – घटना के बाद पीड़ित परिवार के बेटे शिवम दीक्षित ने रूरा थाने में एक एफआईआर दर्ज करवाई। इसके अनुसार फरियादी के दादा और घर के वर्तमान मुखिया कृष्ण गोपाल दीक्षित के पिता ने करीब 100 साल पहले एक बगीचा विकसित किया था। उसी जगह पर तकरीबन 20 साल पहले उन्होंने अपना पक्का घर बनवाया था।
14 जनवरी को मैथा तहसील के एसडीएम, तहसीलदार, कानूनगो और लेखपाल स्थानीय रूरा थाने के प्रभारी दिनेश कुमार गौतम के साथ अचानक आ घर के बाहर आ धमके। उनके साथ 15 सिपाही और एक बुलडोजर भी था। इसके बाद पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने बिना किसी पूर्व नोटिस और सूचना के ही उनका घर गिरा दिया।

 

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