एनआरपी डेस्क
लखनऊ। शुक्रवार को पैगंबर पर टिप्पणी मामले में बीजेपी से निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को पूरे देश से माफी मांगने के लिए कहा है। कोर्ट ने केस ट्रांसफर करने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से तो कई बातें कहीं लेकिन फैसला बहुत संक्षिप्त था और उन बातों का फैसले में उल्लेख नहीं था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच कर रही थी। लेकिन रिटायर्ड जस्टिस एसएन ढींगरा नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के तरीके पर नाराज़गी जाहिर की। यहां तक कह दिया कि “ये एक टोटल राजनीतिक भाषण था सुप्रीम कोर्ट का, जिससे मैं बिलकुल सहमत नही हूं। सुप्रीम कोर्ट ने जितनी बातें कही हैं, सारी की सारी गलत हैं।”
जस्टिस ढींगरा न्यूज़24 चैनल पर एंकर संदीप चौधरी के सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नूपुर शर्मा पर सत्ता का नशा हावी हो गया था और उसने बिना किसी बात की परवाह किए, ये टिप्पणियां की हैं, यही बात सुप्रीम कोर्ट पर भी लागू होती है। सुप्रीम कोर्ट स्वयं बिना किसी जांच के किसी को दोषी नहीं ठहरा सकता। सुप्रीम कोर्ट के पास जो मामला गया था, वह एफआईआर ट्रांसफर करने के लिए गया था, न कि नूपुर शर्मा पर दोष सिद्ध करने के लिए।
सुप्रीम कोर्ट को टिप्पणी के जगह लिखित आदेश देना चाहिए था- Retired Justice S.N. Dhingra#सबसेबड़ासवाल #Nupur_Sharma pic.twitter.com/4g5EoFZJB9
— News24 (@news24tvchannel) July 1, 2022
उन्होंने चिंता व्यक्त की और कहा, “मुझे नहीं समझ आता कि सुप्रीम कोर्ट ऐसी जबानी टिप्पणियां कैसे कर सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट में दम होता तो वह इसे लिखित ऑर्डर में देता। सुप्रीम कोर्ट ने क्यों अपने लिखिए ऑर्डर में Pitition dismissed and withdrawn (याचिका खारिज और वापस ली गई) लिखा। क्यों नहीं अपनी टिप्पणियां लिखित रूप में दीं। ताकि सुप्रीम कोर्ट को आइना दिखाया जा सकता कि आप बिना ट्रायल के किसी को दोषी भी मान लेते हो, खुद ही प्रॉसिक्यूटर बन जाते हो, खुद ही चार्ज लगाते हो, उसे दोषी ठहरा कर अपना फैसला मौखिक में सुना देते हो। इससे बहुत बड़ा गलत संदेश जाता है कि सुप्रीम कोर्ट पर सत्ता का नशा हावी रहता है और जो मर्जी बोल देते, उसको कोई रोकने वाला नही है।”
उन्होंने आगे कहा – एक चीज और सुप्रीम कोर्ट ने कही कि आप मजिस्ट्रेट के यहां क्यों नहीं गए। जबकि अनगिनत केसों में सुप्रीम कोर्ट मजिस्ट्रेट, हाईकोर्ट सबको बाईपास करके अनगिनत केस अमीरों के सुनता है। और न केवल सुनता है बल्कि रात को बारह बारह बजे सुनता है। ऐसे केसों में क्या कहोगे कि बिना जाने, बिना तथ्यों के सुप्रीम कोर्ट ऐसी टिप्पणी कैसे कर सकता है। अगर नूपुर शर्मा ने गलत बोला है तो ये निचली अदालतों का काम है कि वो देखे कि नूपुर शर्मा ने तथ्यों के आधार पर बोला है या बिना तथ्यों के। अगर उसकी टिप्पणियां गलत है तो ट्रायल कोर्ट सज़ा देगा। सुप्रीम कोर्ट ने तो ट्रायल कोर्ट के लिए एक गाइडलाइन तय कर दी कि अगर टीवी डिबेट में कुछ कहा तो वो दोषी है, उसे माफी मांगनी चाहिए। और मेरे ख्याल इस तरह तो सभी एंकर जितना वहां बैठते हैं, खड़े होते हैं, जितने पेश होते हैं, जितने डिबेट करते हैं, सभी दोषी हैं।
(नोट – यह लेख News24 News Channel के ट्वीट हुए वीडियो के आधार पर है।)