नगर निगम ने कूड़े के ढेर में दबा दी लखनऊ की इज़्ज़त

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एनआरएपी डेस्क
लखनऊ। अब तो लगने अलग है कि जैसे “भ्रष्टाचार विकास की जननी है।” ये हम इसलिए कह रहे हैं कि लखनऊ में जो नगर आयुक्त आए हैं, उन्होंने पिछले कुछ दिनों में अपने काम से एक ईमानदार अफसर की छवि बनाई है। लेकिन सच तो ये है कि शनिवार को जब स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 की रिपोर्ट आई तो नगर निगम ने कूड़े के ढेर और सड़ांध में लखनऊ की बनती छवि को दबा दिया। लगता है कि नगर निगम आयुक्त इंद्रजीत सिंह की ईमानदार छवि का फायदा होने की बजाय नुकसान हो गया है। ऐसा लोग सोच सकते हैं कि कमीशन नही मिलता है तो शायद अफसरों और कर्मचारियों की काम करने के गति धीमी पड़ गई है।
लखनऊ शहर में सफाई के तमाम दावे तब फेल हो गए जब शनिवार शाम चार बजे स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 की रिपोर्ट आई। 2021 में लखनऊ नगर निगम ने देश के साफ शहरों (दस लाख से अधिक आबादी वाले 45 शहर) में 12वां स्थान पाया था, जो वर्ष 2022 में पांच पायदान पिछड़ते हुए 17 पर पहुंच गया। अगर देश के सौ साफ शहरों पर नजर डाली जाए तो लखनऊ 52वें पायदान पर है।

दैनिक जागरण ने नगर निगम की इस पर जमकर खबर ली। लिखा कि नगर निगम के अफसरों की लापरवाही, सफाई में कमीशनखोरी और कूड़े के कुप्रबंधन से लखनऊ को पिछले पायदान पर खड़ा होना पड़ा है। नगर निगम सदन में ठेका सफाई पर कभी विरोध के स्वर नहीं दिखे, लेकिन कूड़ा के कुप्रबंधन में सिर्फ हो हल्ला होता रहा। नतीजा यह रहा कि कूड़ा प्रबंधन हर दिन पटरी से उतरता गया। कुल साढ़े सात हजार अंकों के स्वच्छ सर्वेक्षण में नगर निगम को 5209 अंक मिले हैं। गार्बेज फ्री सिटी बनाने और खुले में शौच को रोके जाने में भी नगर निगम पीछे रहा है। अपनी विफलता के बजाय महापौर से लेकर नगर निगम के अफसर अपनी पीठ को खुद थपथपा रहे हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने हेडिंग लगाई – Poor solid waste management, citizens’ discontent pull city down by 5 points. TOI writes – The inadequat solid waste management (SWM) and citizens’ dissatisfaction with the services provided by the Lucknow Municipal Corporation (LMC) to Lucknow slipping five notches down from its last year’s ranking in the Swachh Bharat Survey 2022.


आज‘ ने लिखा कि बीते वर्ष नगर निगम प्रशासन की जहां 12वीं रैंक थी तो वही इस बार शनिवार को जारी की गयी नयी सूची में वह 17वीं रैंक पर पहुँच गई है। हालांकि इस बार नगर निगम लखनऊ प्रशासन को स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में बेस्ट सिटी फॉर इनोवेशन एण्ड बेस्ट प्रैक्टिसेज़’ का अवार्ड दिया गया है। स्वच्छता के लिए लखनऊ में किए जा रहे इनोवेशन को देशभर में सराहा गया। जिसको लेकर अब नगर निगम प्रशासन ने सफाई व्यवस्था की खामियों को छुपाकर एवार्ड प्राप्त करने का ढिंढोरा पीटना शुरु कर दिया है।


नवभारत टाइम्स ने लिखा कि स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में इस बार लखनऊ 17वें पायदान पर आया है, जबकि पिछले साल इसे 12वां स्थान मिला था। सर्वे में पांच पायदान लुढ़कने से शहर में सफाई अभियान के बड़े-बड़े दावों पर भी सवाल उठने लगे हैं।
नगर निगम सूत्रों के मुताबिक, जगह-जगह खुले में बने डंपिंग यार्ड, इकोग्रीन एजेंसी की की लचर कार्यशैली और शिवरी प्लांट में कूड़े का पहाड़ साफ न होने से शहर की रैंकिंग घटी है। शिवरी कूड़ा निस्तारण प्लॉट लगातार पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहा। इस कारण यहां कूड़े का पहाड़ कम नहीं हो रहा। स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए तय की गई है। इस दरम्यान लखनऊ के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी थे। उनके कार्यकाल में अभियान पर कई सवाल खड़े थे। इसके साथ इकोग्रीन एजेंसी के कर्मचारियों ने वेतन न मिलने को लेकर कार्य बहिष्कार और धरना प्रदर्शन भी किया था। यही नहीं, भुगतान के विवाद में कई बार इकोग्रीन ने कूड़ा न उठाने जैसे कदम उठाए थे। इस बीच रैंकिंग में पांच पायदान लुढ़कने पर नगर निगम के जिम्मेदार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।


अमर उजाला ने लिखा कि रैंकिंग में लखनऊ दो साल से 12वें स्थान पर था। ऐसे में उम्मीद थी कि इस बार यह टॉप फाइव में शामिल होगा, लेकिन डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन और शिवरी प्लांट ठप रहने से कूड़ा निस्तारण में पिछड़ने से रेटिंग गिर गई। इसमें निजी कंपनी ईकोग्रीन की लापरवाही भी जिम्मेदार है।


राष्ट्रीय सहारा ने लिखा – स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग में लखनऊ को टॉप 20 में अपनी जगह कायम रखने में ही खुश रहना पड़ा। हालांकि इस वर्ष विगत वर्ष से ज्यादा अंक प्राप्त किए है। 2017 में लखनऊ की रैकिंग 269 थी, 2018 में काफी सुधार करते हुए 115 हुई और फिर 2020 में महापौर के 3 वर्षो के कार्यों का सकारात्मक परिणाम मिला और रैकिंग में 12वां स्थान प्राप्त हुआ। साथ ही वर्ष 2021 में लखनऊ ने 4600 अंको के साथ 12वां स्थान कायम रखा और वर्ष 2022 में अंक बढ़ाते हुए 5200 अंको के साथ टॉप 20 में स्थान बनाते हुए 17वां स्थान प्राप्त का संतोष होना पड़ा। शनिवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय अवसान एवं शहरी विकास राज्यमंत्री और केंद्रीय प्रमुख सचिव ने महापौर संयुक्ता भाटिया, स्वच्छ भारत मिशन प्रभारी अरविंद राव के साथ लखनऊ की टीम को सम्मानित किया।


हिंदुस्तान ने लिखा – कूड़ा निस्तारण शिवरी प्लांट पर 10 लाख मीट्रिक टन कूड़े का पहाड़ बन चुका है। वजह यह है कि रोजाना 1600 से 1800 मीट्रिक टन कचरा शहर से निकल रहा है। शिवरी प्लांट की क्षमता 1200 मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारण की है। इस कारण अधिसंख्य घरों से कूड़ा नहीं उठ पा रहा है।

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