क्यों द्वादश माधव मंदिरों को भूल गए? योगी याद दिलाएंगे!!

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नवल कान्त सिन्हा

लखनऊ। आपसे सवाल पूछा जाए कि क्या आप प्रयागराज के बारे में जानते हैं और अगर आपका जवाब हां में है। तो सवाल ये भी पूछा जा सकता है क्या आप द्वादश माधव मंदिरों के बारे में जानते हैं? सीमित संख्या होगी, जो इन सभी मंदिरों को जानता हो। यदि आप भी नही जानते तो जान लीजिए।

1 : वेणीमाधव : 

यह प्रयाग के नगर देवता हैं। इनका मंदिर दारागंज स्थित त्रिवेणी तट पर है।

2 : अक्षयवट माधव :

गंगा-यमुना के मध्य में यह विराजमान हैं।

3 : अनंत माधव :

दारागंज में अनंत माधव का प्राचीन मंदिर है।

4 : असि माधव :

नागवासुकी मंदिर के पास असि माधव वास करते हैं।

5 : मनोहर माधव :

जानसेनगंज में मनोहर माधव का मंदिर है।

6 : बिंदु माधव :

द्रौपदी घाट के पास बिंदु माधव का निवास है।

7 : श्रीआदि माधव :

संगम के मध्य जल रूप में आदिमाधव विराजमान हैं।

8 : चक्र माधव :

प्रयाग के अग्नि कोण में अरैल में सोमेश्वर मंदिर के निकट स्थित हैं चक्र माधव।

9 : श्रीगदा माधव :

यमुना पार के क्षेत्र स्थित छिवकी रेलवे स्टेशन के पास गदा माधव का प्राचीन मंदिर है।

10 : पद्म माधव :

यमुनापार के घूरपुर से आगे भीटा मार्ग पर वीकर देवरिया ग्राम में स्थित हैं पद्म माधव।

11 : संकटहर माधव :

झूसी में गंगा तट पर वटवृक्ष में संकटहर माधव का वास है।

12 : शंख माधव :

झूसी के छतनाग में मुंशी के बगीचे में शंख माधव की स्थली मानी जाती है।

इन मंदिरों का जिक्र इसलिए कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज के द्वादश माधव मंदिरों के कायाकल्प का निर्णय किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यूपी पर्यटन विभाग प्रयागराज के सभी माधव मंदिरों के विकास को लेकर पूरा रोड मैप तैयार कर चुका है। हाल ही में पर्यटन विभाग की ओर से इससे संबंधित प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद सीएम योगी ने आगामी महाकुंभ से पहले द्वादश माधव मंदिरों के कायाकल्प के लिए विभाग को निर्देशित किया है।

दरअसल भगवान माधव प्रयागराज के प्रधान देवता के रूप में पूजे जाते हैं। इनके द्वादश (बारह) स्वरूप प्रयाग में प्रतिष्ठित हैं। पौराणिक मान्यता है कि प्रयागराज में संगम की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने द्वादश स्वरूप धारण किए थे। मत्स्य पुराण में लिखा है कि द्वादश माधव परिक्रमा करने वाले को सारे तीर्थों व देवी-देवताओं के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है। महर्षि भारद्वाज सहित अनेक ऋषि-मुनि इसकी परिक्रमा करते रहे हैं। मगर मुगल और ब्रिटिश काल में ये द्वादश मंदिर दुर्दशा जा शिकार हो गए। आजादी के बाद भी इन्हें लेकर सरकारों में उदासीनता ही रही।

पहले चरण में नौ माधव मंदिरों का कायाकल्प किया जाएगा। इसमें झूसी स्थित संकष्टहर माधव और शंख माधव, द्रौपदी घाट स्थित बिंदु माधव, चौफटका स्थित अनंत माधव, चौक स्थित मनोहर माधव, बीकर गांव स्थित पद्म माधव, छिंवकी स्थित गदा माधव और अरैल स्थित आदिवेणी माधव तथा चक्र माधव मंदिरों को भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है।

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