गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब चमोली उत्तराखंड

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हेमकुंड साहिब उत्तराखंड में स्थित सिखों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से प्रमुख हैं. सिख धर्म की आस्था का प्रतीक इस पावन धाम के दर्शन के लिए हर साल देश विदेश से हज़ारों की संख्या में तीर्थ यात्री यहाँ आते हैं. हेमकुंड एक संस्कृत नाम है, जिसका अर्थ – हेम (“बर्फ”) और कुंड (“कटोरा”) है. हेमकुंठ गुरुद्वारा समुद्र तल से 4329 मी. की ऊँचाई पर स्थित है। गुरुद्वारा एक झील के किनारे स्थित है और गुरुद्वारे के चारों ओर पर्वत स्रंखलायें हैं.  गुरुद्वारे के पास ही भगवान लक्ष्मण का मंदिर भी है. चारों ओर से बर्फ की ऊँची चोटियों से घिरे होने के कारण और शांत और स्वच्छ वातावरण गुरुद्वारे की खूबसूरती को चार चाँद लगाते हैं.
हेमकुड साहिब जाने के लिए सड़क और हवाई रास्ते से  यहाँ पहुँचा जा सकता है. यहाँ सड़क के रास्ते पहुँचने के लिए ऋषिकेश – बदरीनाथ मोटर मार्ग का प्रयोग करना पड़ता हैं. गुरुद्वारे पहुँचने के लिए पांडुकेश्वर से 2 कि.मी. पहले गोबिन्द घाट पर उतरना पड़ता और फिर गोबिन्द घाट से 20 कि.मी. की पैदल यात्रा करनी पड़ती है.  हेमकुंड में ही गुरु गोबिन्द सिंह जी ने महाकाल की तपस्या की थी।

हेमकुड साहिब का इतिहास-
संत सोहन सिंह जी सिख धर्म उपदेश दिया करते थे. एक बार टिहरी (गढ़वाल) में वो सिख धर्म के अनुयाइयों को उपदेश दे रहे थे तो उपदेश देते हुए उनको गुरु गोबिंद देव जी की तपस्या स्थल का ख्याल आया और फिर संत सोहन सिंह जी के मन में इस पवित्र स्थान को खोजने की इच्छा हुई। क्यूंकी सोहन सिंह जी गुरु गोबिंद जी के प्रति असीम श्रद्धा रखते थे तो उन्होंने संकल्प कर लिया कि वे उस स्थान की अवश्य ढूंढ निकालेंगे। इधर उधर बहुत भटकने के बाद सोहन सिंह जी बदरीनाथ पहुंचे। जहाँ उन्होने साधु सन्यासियों से इस विषय में जानकारी प्राप्त की और बदरीनाथ से लौटते वक़्त रात हो जाने के कारण संत सोहन जी पांडुकेश्वर में रुक गये और रात में यही विश्राम किया.
रात्रि विश्राम करते हुए स्थानीय लोगों के ज़रिए उनको पता चला की पांडुकेश्वर को राजा पांडु की तप भूमि होने के कारण पांडुकेश्वर कहते हैं। कुछ दिन यहाँ बिताने के बाद उनको आभास हो गया था की गुरु गोबिंद जी की तपस्या स्थल यहा से ज़्यादा दूर नही है. एक दिन सवेरे-सवेरे, संत सोहन सिंह जी ने दिखा की स्थानीय लोग एक समूह में नए नए वस्त्र पहनकर कही जा रहे थे संत सोहन सिंह जी को पुछने पर पता चला कि ये लोग हेमकुंड लोकपाल तीर्थ में स्नान करने जा रहे हैं। संत जी भी उनके पीछे-पीछे हेमकुंड चल दिए। जब संत सोहन जी हेमकुंड पहुँचे तो उनको सात चोटियों वाला पर्वत सप्तश्रृंग दिखायी दिया, जहां गुरु गोबिन्द सिंह ने महाकाल की तपस्या की थी.
हेमकुंठ पहुँचने के बाद संत सोहन सिंह जी ने गुरु जी की अरदास यानी प्रार्थना की कि हे प्रभु! आपकी क्रपा से मैं आप की तपोभूमि तक तो आ गया हूं। अब आप मुझे आप मुझे वह स्थान बताएं जहां आप जोत जगाकर तपस्या करते थे. कहा जाता है की जैसे की संत सोहन जी ने अरदास पूरी की, वहाँ एक अवधूत प्रकट हुआ और बोला- खालसा किसे ढूंढते हो? संत जी ने कहा कि हे जोगीश्वर महाराज! मैं अपने गुरु जी का स्थान ढूंढ रहा हूं। जोगीश्वर बोले कि यही वह शिला है जहां गुरुजी बैठते थे। यह सुनकर संत जी भाव विभोर होकर उस शिला से लिपट गए। उनकी आखों से खुशी की धार बहने लगी। उन्होंने जोगीश्वर की ओर उत्सुकता से देखा लेकिन तब तक वे गायब हो चुके थे।
कुछ दिनों बाद संत सोहन जी अपनी यात्रा पूरी करने के बाद आपस अमृतसर आ गये. संत सोहन जी ने सारी बातें भाई वीरसिंह सरदार को बताई। भाई वीरसिंह सरदार जी यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होने ही संत जी से कहा कि वहां जाकर गुरु ग्रंथ का प्रकाश कर दो । इस प्रकार 1936 ई. में वहां एक छोटा सा गुरुद्वारा बनकर तैयार हो गया। सन् 1937 ई. के शुरू में वहां गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश यानी अरदास हुआ.

हेमकुंड साहिब की यात्रा का समय-
चूकि हेमकुंड साहिब हिमालय की गोद में बसा हुआ है इसलिए यहाँ साल में 7-8 महीने बर्फ जमी रहती है और मौसम बहुत ही सर्द बना रहता है. हर साल अक्टूबर महीने के सुरुवात में ही हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं. हेमकुंड साहिब पहुँचने का सबसे अच्छा समय मार्च सुरुवात से जून महीने के अंत है. इस समय यहाँ ना तो ज़्यादा ठंड होती है ना ही गर्म. मार्च से जून तक हर साल यहाँ हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुओं यहाँ दर्शन करने पहुँचते हैं. हर साल अक्तूबर महीने में हेमकुंड साहिब के कपाट सबद कीर्तन और अरदास के बाद विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं. हेमकुंड साहिब से थोड़ी ही दूरी पर फूलों की घाटी एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटक स्थल है जहाँ हर साल देश विदेश से पर्यटक आते हैं.

नज़दीकी एरपोर्ट –
जॉली ग्रांट, देहरादून 268 किमी
नज़दीकी रेल स्टेशन –
हरिद्वार / ऋषिकेश 190 किमी
वेबसाइट : http://shrihemkuntsahib.com
निकटवर्ती शहर : चमोली
राज्य : उत्तराखंड
देश : भारत
पता :
श्री हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट
मुनि की रेती, ऋषिकेश
उत्तराखंड
टेलीफोन : +91-135-2559898
ईमेल- info@shrihemkuntsahib.com
आसपास के दर्शनीय स्थल :
बद्रीनाथ, माना, जोशीमठ और औली

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