भीमाशंकर धाम ज्योतिर्लिंग शिव मंदिर पामोही गुवाहाटी असम | Bhimashankar Jyotirlinga Guwahati

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भीमाशंकर महादेव यानी भीमेश्वर महादेव डाकिनी की पहाड़ियों पर स्थित है। इसको छठवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। डाकिनी पहाड़ को दाहिनी पहाड़ भी बोला जाता है। ये गुवाहाटी के पमोही में दिपूर बील के पास है। यहाँ पर स्थिति शिवलिंग पर यहाँ बहती पानी की धार लगातार छूती हुई गुजरती है। भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग धाम के पास की गणेश जी का भी एक मंदिर है। यह बहुत ही खूबसूरत दर्शनीय स्थान है।

(भारतवर्ष में प्रकट हुए भगवान शंकर के बारह ज्योतिर्लिंग में श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का छठा स्थान हैं। इस ज्योतिर्लिंग में कुछ मतभेद हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र में ‘डाकिन्यां भीमशंकरम्’ लिखा है, जिसमें ‘डाकिनी’ शब्द से स्थान का स्पष्ट उल्लेख नहीं हो पाता है। तीन मंदिरों को भीमशंकर ज्योतिर्लिंग माना जाता है। मुम्बई से पूरब और पूना से उत्तर भीमा नदी के तट पर अवस्थित है। इसके अलावा शिव पुराण के अनुसार भीमशंकर ज्योतिर्लिंग असम प्रान्त के कामरूप जनपद में गुवाहाटी के पास ब्रह्मरूप पहाड़ी पर स्थित है। कुछ लोग तो उत्तराखंड प्रदेश के उधमसिंह नगर ज़िले के काशीपुर में ‘उज्जनक’ स्थान पर स्थित भगवान शिव के विशाल मन्दिर को भी भीमशंकर ज्योतिर्लिंग कहते हैं। हालांकि सर्वमान्य मंदिर पुणे के निकट वाले को माना जाता है।)

कहा जाता है कि कुंभकर्ण के एक पुत्र का नाम भीम था। कुंभकर्ण को कर्कटी नाम की एक महिला पर्वत पर मिली थी। उसे देखकर कुंभकर्ण उस पर मोहित हो गया और उससे विवाह कर लिया। विवाह के बाद कुंभकर्ण लंका लौट आया, लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रही। कुछ समय बाद कर्कटी को भीम नाम का पुत्र हुआ। जब श्रीराम ने कुंभकर्ण का वध कर दिया तो कर्कटी ने अपने पुत्र को देवताओं के छल से दूर रखने का फैसला किया। बड़े होने पर जब भीम को अपने पिता की मृत्यु का कारण पता चला तो उसने देवताओं से बदला लेने का निश्चय कर लिया।
भीम ने ब्रह्मा जी की तपस्या करके उनसे बहुत ताकतवर होने का वरदान प्राप्त कर लिया। कामरूपेश्वप नाम के राजा भगवान शिव के भक्त थे। एक दिन भीम ने राजा को शिवलिंग की पूजा करते हुए देख लिया। भीम ने राजा को भगवान की पूजा छोड़ उसकी पूजा करने को कहा। राजा के बात न मानने पर भीम ने उन्हें बंदी बना लिया। राजा ने कारागार में ही शिवलिंग बना कर उनकी पूजा करने लगा। जब भीम ने यह देखा तो उसने अपनी तलवार से राजा के बनाए शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया।
ऐसा करने पर शिवलिंग में से स्वयं भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव और भीम के बीच घोर युद्ध हुआ, जिसमें भीम की मृत्यु हो गई। फिर देवताओं ने भगवान शिव से हमेशा के लिए उसी स्थान पर रहने की प्रार्थना की। देवताओं के कहने पर शिव लिंग के रूप में उसी स्थान पर स्थापित हो गए। इस स्थान पर भीम से युद्ध करने की वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमशंकर पड़ गया।

Address:
Pamohi, Guwahati, Kamrup Metropolitan, Assam 781035, India

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