तमिलनाडु के प्रमुख मंदिरों में से एक मंदिर है कुरुंगलेश्वर शिव मंदिर। यहां एक खंभे पर उभारी गयी श्रीराम को अपने कांधे पर उठाए मूर्ति लोगों को आश्चर्य में डाल देती है। दरअसल चेन्नई के पास कोयमबेडु में शिवजी को समर्पित कुरुंगलेश्वर मंदिर की इस मूर्ति को देख लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर शंकर जी के इस मंदिर में भगवान राम और हनुमान जी इतनी प्रमुखता से क्यों हैं?
🕉 Shri HanumanJi lifting Bhagawan RamJi on his shoulders
So beautifully carved on a pillar at Ancient Chola Dynasty Sri Kurungaleeshwarar Shiva
Temple, Koyambedu,Chennai 🚩@chitranayal09 @BharatTemples_ @harshdeshpremi @SriRamya21 @Harsh__17 pic.twitter.com/GZ5XVCKB8t— TempleTrails (@TempleTrails) September 5, 2020
इसका जवाब जानने के लिए इस स्थान यानी कोयमबेडु का अर्थ आपको जानना होगा। ‘को’ का अर्थ हुआ घोड़ा, ‘अम्बु’ मतलब तीर और पेडु का आशय बाड़ या फेन्स। माना जाता है कि जब श्रीराम अश्वमेध यज्ञ करा रहा थे तो उनके घोड़ों को इसी स्थान पर लव और कुश ने रोका था। लव-कुश ने इन घोड़ों को तीरों की बाड़ लगाकर अपने कब्जे में ले लिया था। अब एक अन्य सवाल आपके मन में आया होगा कि तो फिर इस स्थान पर शंकर जी का मंदिर क्यों? तो इसका जवाब यह है कि शंकर जी चाहते थे कि रामजी के परिवार का मिलन हो जाए और पिता-पुत्रों के बीच युध्द की स्थिति न आये। वाल्मीकि जी ने इसी दौरान लव-कुश को ज्ञान दिया था कि श्रीराम उनके पिता हैं। फिर वाल्मीकि जी ने ही यहां इस शिव मंदिर की स्थापना की। चोल शासन के दौरान यह मंदिर भव्य बना।