आइये आपको लेकर चलते हैं कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर. ये 360 डिग्री वीडियो है यानी कि वीडियो क्लिक करने के बाद आप लेफ्ट राइट ऊपर नीचे स्वैप कर हर तरफ का नज़ारा ले सकते हैं. और अगर आप वीआर ग्लास लगा लें तो वर्चुअल रियल्टी का आनंद ले सकते हैं यानी कि वीआर ग्लास लगाने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि आप वहां पहुँच गए हैं.
कैलाश मानसरोवर को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में एक माना जाता है. किसी भी शिवभक्त की ये तमन्ना होती है कि जहाँ भगवान् शंकर विराजते हैं, एक बार दर्शन का मौक़ा मिल जाए. कैलाश के पश्चिम में मानसरोवर झील तथा दक्षिण में राक्षस ताल है. इस पूरे खंड को मानसखंड भी कहा जाता है. कैलाश को गणपर्वत और रजतगिरी भी कहा जाता है. कैलाश क्षेत्र न केवल हिंदू बल्कि जैन, बौद्ध और सिखों का भी धार्मिक केंद्र है. इसकी बाहरी परिधि 52 किमी है.
ये दृश्य इतने खूबसूरत हैं कि किसी का भी यहाँ पहुँचने का मन कर जाए. लेकिन जितना खूबसूरत ये दृश्य है. यहाँ पहुंचना उतना ही कठिन. यह जगह तिब्बत में आती है. यहाँ पर स्थित मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है, जो पुराणों में ‘क्षीर सागर’ के नाम से वर्णित है. कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है. इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है.
कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है. बौद्ध धर्मावलंबियों अनुसार, इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं. तिब्बतियों की मान्यता है कि वहां के एक संत कवि ने वर्षों गुफा में रहकर तपस्या की थी. इसे बौद्ध भगवान बुद्ध और मणिपद्मा का निवास मानते हैं. कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान का अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है. वह बुद्ध के इस रूप को ‘धर्मपाल’ की संज्ञा भी देते हैं. बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है. यह भी कहा जाता है कि भगवान बुद्ध की माता ने यहां की यात्रा की थी।
मानसरोवर –
मानसरोवर झील दुनिया की सबसे साफ़ पानी वाली झीलों में से एक मानी जाती है। कैलाश मानसरोवर और कैलाश पर्वत वाले क्षेत्र में एक अजीब आवाज़ सुनाई देती है जैसे यहां से कोई हवाई जहाज़ गुज़र रहा हो, जबकि ऐसा नहीं होता है. कहते हैं कि अगर इस आवाज़ को ध्यान से सुना जाए तो यह किसी डमरू या फिर ओम की आवाज़ जैसी सुनाई देती है. ऐसा कहा जाता है कि कैलाश मानसरोवर में जो भी व्यक्ति एक बार डुबकी लगा लेता है उसे धरती पर दोबारा जन्म लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है. इस झील में हर साल सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और खुद ही इस अलौकिक माहौल को महसूस करते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो कैलाश मानसरोवर के आसपास सुनाई देने वाली आवाज़ के पीछे बर्फ पिघलने का हाथ हो सकता है क्योंकि जब भी बर्फ पिघलती है तो कई तरह की आवाज़ें सुनाई देती हैं.
राक्षस ताल या रावण ताल –
पवित्र मानसरोवर और कैलाश के इतना पास होने के बावजूद राक्षसताल हिन्दुओं और बौद्ध-धर्मियों द्वारा पवित्र या पूजनीय नहीं माना जाता. इसे तिब्बती भाषा में लग्नगर त्सो कहते हैं। प्रशासनिक रूप से यह तिब्बत के न्गारी विभाग में भारत की सीमा के पास स्थित है.
राक्षस ताल लगभग 225 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, 84 किलोमीटर परिधि और 150 फुट गहरे में फैला है. इस झील के तट राक्षसों के राजा रावण ने यहां पर शिव की आराधना की थी. इसलिए इसे राक्षस ताल या रावणहृद भी कहते हैं. एक छोटी नदी गंगा-चू दोनों झीलों को जोड़ती है. राक्षसताल के बारे में यह आस्था है कि इसे रावण से सम्बन्धित है, जिस कारणवश इसे रावणताल भी कहते हैं. जहाँ मानसरोवर का पानी मीठा है, वहाँ राक्षसताल का खारा है, मानसरोवर में मछलियों और जलीय पौधों की भरमार है जबकि राक्षसताल के खारे पानी में यह नहीं पनप पाते. स्थानीय तिब्बती लोग इसके पानी को विषैला मानते हैं. मानसरोवर गोल है और इसे सूरज का और दिन की रोशनी का प्रतीक माना जाता है जबकि राक्षसताल के आकार की तुलना अर्धचंद्र से की जाती है और इसे रात्रि का और अंधेरे का प्रतीक माना जाता है.